Thursday, May 23, 2019

台湾同志运动30年:见证同婚专法通过历程

2019年5月14日,台湾同性婚姻专法还尚在立法院协商,三天后就要表决。立法院场外聚集上千同志支持者,要求立法院履行承诺,通过专法。人群旁树上站着一位清瘦的白发老翁,大力挥舞着彩虹旗。

祁家威曾对外说过,他喜欢找到一个制高点,在高处挥舞彩虹旗,因为有次他发现,路过的人在巴士上由上往下拍他,潜意识上让人感觉被鄙视,而他不容忍被鄙视。而在高处,让路过者由下往上拍他,使他感到被尊重。

而这彩虹旗他已经挥舞了30多年了。

同志平权开拓者
1986年二月末,祁家威的中学同窗,也是他当时暗恋的好友在美国结婚,选择同一天在麦当劳召开国际记者会,公开出柜,成为台湾第一位公开的同性恋者,并发言宣传爱滋病防治工作。

但是,1986年台湾尚在戒严时期,在那场高调的国际记者会后,祁家威立即被政府以重大“伤害罪”的罪名逮捕。他却得意地告诉记者,自己在短短五个月便获释。祁家威说:“因为邀请路透社等国际媒体报导台湾的爱滋病情况,以及公开出柜,台湾情报单位觉得我在闹事,不得不处理我。“

祁家威称,“抓我的人对我说:‘祁先生,你太厉害了,所以我们必须要让你在自由世界消失,关你五年。‘所以他们随便塞了一个伤害罪名要我背,但我透过我的犯罪学及法律知识,成功的在五个月后摆脱他们,离开监狱”。

1958年出生于台北的祁家威来自公务员家庭,他说自己从小就是学霸,是学校的风云人物。而且,国小国中交往的对象都是女朋友。1973年,从中学开始有了同性情愫,暗恋同班男生。

“1975年的夏天,英文老师教了一个单字‘homosexual’(同性恋),我开始去思考自己的同性恋认同。尤其当时也在暗恋同班同学。暑假的时候,我去查了资料,发现1974年,同性恋已经被世界精神医学大会从精神病当中移除,我因而确定了自己的性倾向是正常的,开始向周遭朋友及父母出柜。他们都很接受,所以我心想,既然家人朋友都不反对,真的是老天爷安排我走同志这条路。”

虽然高中后来没念完,也没去上大学,但他说在高中就开始了自学之路。“所有海内外同志及爱滋防治的法律以及医疗资讯,都是我自己去搜集而来”祁家威说。

然而,30多年来,祁家威在媒体上几乎都是形单影支的形象。尤其,1980年代末到1990年初期,同志在台湾社会仍是被高度污名化,祁家威却以公开出柜的同志身份,时而扮演耶稣,背着庞大的十字架在街头呼吁防治爱滋。或者身上挂上300个“保险套”,打扮成“埃及艳后”在车站发放保险套。遭受路人咒骂及讥讽是家常便饭。

因为祈家威单打独斗的形象,相关评论经常以悲凉的笔触描写他。譬如,台湾资深记者杨索回忆当年,在一文章说:“每当想起祁家威,心中总浮现80年代后期,他背着募款箱为爱滋病患筹款的景像......经过的人多半远远避开他,视他为瘟疫,社会与媒体多少视他为‘麻烦製造者’,没有谁用心去理解他出柜的勇气与护卫爱滋病患的使命。”

但祁家威告诉记者,他从不觉得自己的孤军奋斗十分孤寂。他的社会运动策略不在于组织社团,而是抓紧关键议题,以一己之身不断挑战制度。

数十年来,祁家威不断挑战台湾法律,抗议同性婚姻不被法律承认。直到2016年,台湾大法官正式接受祁家威的释宪请求。2019年,台湾通过同婚专法。

台湾同婚专法通过,祈家威30多年来的努力再次被众人看见,他被称为“同运教父”。祁家威说,他从不觉得自己为同志运动牺牲了青春,因为”一路走来,都是透过我的判断以及知识决定策略“,他自信地说。

同婚专法通过后,祁家威并没有停止他的社会运动步伐。他认为,同婚专法尚未包含完整个跨国婚姻权益以及领养权,针对这个法案上的”不完备“,他会继续抗争。

Friday, May 10, 2019

आज़मगढ़ में क्या होने वाला है?- लोकसभा चुनाव 2019

2014 लोक सभा चुनाव प्रचार अपने शबाब पर था. उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल पर पूरे देश की नज़र थी क्योंकि भाजपा के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी वाराणसी से भी चुनाव लड़ रहे थे.

इस फ़ैसले की वजह से समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव चुनाव लड़ने के लिए बगल के आज़मगढ़ पहुँच गए थे.

पाँच साल पहले मई महीने की तपती हुई उस दोपहर, हम सब सिर पर गमछा बांधे आज़मगढ़ में मोदी की एक रैली में उन्हें सुन रहे थे.

उन्होंने मंच से कहा था, "प्रदेश में बाप-बेटे की सरकार है और केंद्र में माँ-बेटे की सरकार है. आप बताइए आपके जीवन में दस साल में कोई बदलाव आया है क्या? आप मुझे मज़बूत सरकार दीजिए, किसानों की और देश की दिशा और दशा सुधार दूँगा".

मोदी के लैंड करने से कोई दस मिनट पहले फूलमती नाम की महिला मिली, जिनसे धूप बर्दाश्त नहीं हो पा रही थीं और वे अपने कुनबे के साथ वापस जा रही थीं.

उन्होंने कहा, "क्या होने वाला है, ये होने वाला है कि जीत लिंहिए, अपना घरे चल दिहीनए, कांव-कांव कर के निरहुवा चल दिहीनए, और मरिहे जनता अपने में."

इसी समय प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंच से अपना भाषण दे रहे थे और कह रहे थे, "इस बार तो कमल खिलाना है आज़मगढ़ में".

थोड़ी देर बार मोदी के भाषण का प्रमुख निशाना था समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी का महगठबंधन जिसे उन्होंने 'महामिलावटी महगठबंधन' बताया. किसानों की दशा और दिशा से ज़्यादा समय 'पाकिस्तान को सबक़ सिखाने' और 'राष्ट्रहित की रक्षा' करने वाले बयानों में बीता.

12 मई को लोक सभा चुनावों के तहत छठे चरण का मतदान होना है और इसमें पूर्वी उत्तर प्रदेश की आज़मगढ़ सीट ख़ासी अहम बताई जा रही है.

हमेशा की तरह इस बार भी आज़मगढ़ के चुनावी समीकरण बेहद दिलचस्प हैं.

आज़मगढ़ में चुनाव आमतौर से जाति और धर्म की दूरबीन से परख कर होते आए हैं.

यहाँ एक तरफ़ अल्पसंख्यकों की अच्छी आबादी है तो दूसरी तरफ़ पिछड़े वर्ग की आबादी भी ख़ासी है.

पिछली बार अगर मुलायम सिंह यादव मैदान में थे तो इस बार उनके बेटे अखिलेश महागठबंधन के उम्मीदवार हैं.

कांग्रेस पार्टी ने यहाँ इस बार अपना प्रत्याशी खड़ा नहीं किया है. इलाक़े के जातीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने भी अपना कैंडिडेट ढूँढा.

पार्टी ने एक स्थानीय लेकिन बेहद लोकप्रिय भोजपुरी गायक दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' को मैदान में उतारा है जिनके कैम्पेन की ख़ासी चर्चा हो रही है.

शहर के बीचोंबीच अखिलेश के एक समर्थक, आनंद कीर्ति बौद्ध से बात हुई.

उन्होंने कहा, "वो क्या है, दुश्मन भोला-भाला लगता है, मगर अंदर से कसाई के समान होता है. एक तीर से तेरह निशाना इसलिए भाई-भाई को, अहीर-अहीर से लड़ा दिया".

आज़मगढ़ जिले का अपना एक प्रगतिशील इतिहास भी रहा है जिसमें शिबली नोमानी और कैफ़ी आज़मी जैसे दिग्गजों की गिनती होती है.

शहर से दूर लेकिन संसदीय क्षेत्र के भीतर आने वाले मुबारकपुर को ही ले लीजिए जहाँ का हथकरघा उद्योग एक ज़माने में विश्व विख्यात हुआ करता था.

घर-घर पावरलूम चला करती थीं और लोगों के मुताबिक़ ख़ुशहाली थी.

मुलाक़ात जमाल अहमद से हुई जिनकी साड़ी की दुकान है और पीछे पावरलूम मशीन बंद पड़ी है.

उन्होंने कहा, "बम धमाके और आतंकवाद के फ़िज़ूल मामलों की वजह से हमारे मुबारकपुर को तो नज़र लग गई. नोटबंदी ने दोहरी मार दे डाली. अब सोच रहे हैं किसी और व्यापार की तरफ़ बढ़ें, वरना खाने के लाले पड़ने लगेंगे".

ग़ौर करने वाली बात ये भी है कि पूर्वी उत्तर प्रदेश में आज़मगढ़ एकमात्र ऐसी सीट थी जिस पर साल 2014 की 'मोदी लहर' का असर नहीं दिखा था.

湖北省2020年高考时间公布:7月7日-7月8日

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