Thursday, January 23, 2020

مرض السرطان بكل أنواعه سيعتمد علاجه في المستقبل على جهاز المناعة البشري

يقول علماء إن اكتشافا حديثا بنظام المناعة في جسم الإنسان قد يستخدم لعلاج جميع أنواع السرطان.

وقد اكتشف فريق بجامعة كارديف البريطانية طريقة للقضاء على أنواع من السرطان، بينها سرطان البروستات والثدي والرئتين، وذلك في تجارب بالمختبر.

ولم يتم اختبار هذه الطريقة على المرضى. لكن الباحثين يقولون إن الاكتشاف، الذي نُشرت تفاصيله في دورية "نيتشر" لعلم المناعة، ينطوي على "إمكانيات هائلة".

وكان العلماء يبحثون عن طرق "غير تقليدية" وغير مكتشفة يهاجم بها نظام المناعة الأورام السرطانية على نحو تلقائي.

ووجدوا ضالتهم في إحدى الخلايا التائية الموجودة بدم الإنسان، وهي خلية بنظام المناعة بإمكانها مسح الجسم لمعرفة ما إذا كان هناك خطر يجب القضاء عليه.

والاختلاف هو أن هذه الخلية تستطيع مهاجمة أنواع كثيرة من السرطان.

وفي حديث لبي بي سي، قال الأستاذ الجامعي أندرو سيويل "هناك فرصة لعلاج جميع المرضى. في السابق، لم يعتقد أحد أن ذلك ممكن".

وأضاف أن الاكتشاف يثير احتمال التوصل إلى أسلوب علاجي واحد يلائم كل أنواع السرطان، وذلك من خلال "نوع واحد من الخلايا التائية قد يكون قادرا على تدمير العديد من أنماط السرطان للجميع".

الخلايا التائية بها "مستقبلات" تجعلها "ترى" التركيب الكيميائي.

واكتشف فريق جامة كارديف خلية تستطيع العثور على أنواع كثيرة من الخلايا السرطانية وقتلها، ومنها خلايا سرطان الرئة والجلد والدم والعظام والبروستاتا والمبايض والكلى وعنق الرحم.

ويتفاعل مُستقبل الخلية التائية مع جزيء يُسمى MR1، وهو موجود على سطح كل خلية في الجسم البشري.

ويسود اعتقاد بأن جزيء MR1 يُنبئ نظام المناعة بوجود تشوه في التمثيل الغذائي داخل الخلايا السرطانية.

وقال أحد باحثي الفريق، ويُدعى غاري دولتون، لبي بي سي "نحن أول من شرح قيام خلية تائية بالعثور على جزيء MR1 في خلايا سرطانية. لم يحدث هذا من قبل. إنها المرة الأولى من نوعها".

ما أهمية الاكتشاف؟

أساليب العلاج القائمة على الخلايا التائية ليست جديدة. وكان تطوير العلاج القائم على المناعة أحد الاكتشافات الأكثر إثارة في هذا المجال.

وأكثر الأمثلة شهرة هو CAR-T، وهو أسلوب علاجي يتم خلاله التلاعب بالخلايا التائية لدى المريض كي تبحث عن السرطان وتدمره.

ويمكن أن يحقق هذا الأسلوب نتائج جذرية، حيث تنقل المريض من حالة الاحتضار إلى التعافي.

لكن هذا الأسلوب يُستخدم على نطاق ضيق، ولا يصلح إلا في أنواع معينة من السرطان، حيث يوجد هدف محدد يتم تدريب الخلايا التائية على رصده.

ما فكرة العلاج الجديد؟

تقوم الفكرة على أخذ عينة من دم المريض بالسرطان.

ثم يتم استخراج الخلايا التائية من العينة وتعديلها وراثيا وإعادة برمجتها من أجل أن تكتسب المُستقبل القادر على اكتشاف السرطان.

ثم تزرع الخلايا المعدلة بأعداد وافرة في المختبر، قبل إعادة حقنها في المريض. وهو نفس الأسلوب المستخدم في طرق علاج CAR-T.

وتم اختبار الطريقة الجديدة على الحيوانات وخلايا في المختبر فقط، وبالتالي هناك حاجة لإجراء فحوص متعلقة بالأمان قبل البدء بالتجارب على البشر.

Thursday, January 9, 2020

مقتل سليماني: هل نشهد "حرب استنزاف" بين واشنطن وطهران أم ينجح الطرفان في تجنب التصعيد؟

فاز السنغالي ساديو ماني نجم ليفربول الانجليزي بجائزة أفضل لاعب افريقي لعام 2019.

وأعلن فوز ماني خلال حفل توزيع جوائز الاتحاد الأفريقي لكرة القدم "كاف" في منتجع الغردقة المطلة على البحر الأحمر في مصر.

وتفوق ماني على زميله في ليفربول محمد صلاح والجزائري رياض محرز نجم مانشستر سيتي فاز السنغالي ساديو ماني نجم ليفربول الانجليزي بجائزة أفضل لاعب افريقي لعام 2019.

وأصبح ماني ثاني سنغالي يفوز بالجائزة بعد الحاج ضيوف الذي توج بها في 2001 و2002.

مغردون: غياب صلاح ومحرز عن حفل أفضل لاعب في إفريقيا "تصرف غير لائق"
محمد صلاح وبن عطية ضمن منتخب أفريقيا للعقد الماضي
وكان صلاح قد أحرز الجائزة في العامين الماضيين، بينما أخفق ماني في الحصول عليها لثلاثة أعوام متتالية كان فيها أحد المرشحين الثلاثة للحصول عليها.

وقد ساهم ساديو ماني في وصول منتخب بلاده إلى المباراة النهائية في بطولة كأس الأمم الأفريقية الأخيرة التي نظمتها مصر وغادرتها في دور الستة عشر.

كما فاز ماني مع ليفربول ببطولة دوري أبطال أوروبا وكأس العالم للأندية.

فاز السنغالي ساديو ماني نجم ليفربول الانجليزي بجائزة أفضل لاعب افريقي لعام 2019.

وأعلن فوز ماني خلال حفل توزيع جوائز الاتحاد الأفريقي لكرة القدم "كاف" في منتجع الغردقة المطلة على البحر الأحمر في مصر.

وتفوق ماني على زميله في ليفربول محمد صلاح والجزائري رياض محرز نجم مانشستر سيتي فاز السنغالي ساديو ماني نجم ليفربول الانجليزي بجائزة أفضل لاعب افريقي لعام 2019.

وأصبح ماني ثاني سنغالي يفوز بالجائزة بعد الحاج ضيوف الذي توج بها في 2001 و2002.

مغردون: غياب صلاح ومحرز عن حفل أفضل لاعب في إفريقيا "تصرف غير لائق"
محمد صلاح وبن عطية ضمن منتخب أفريقيا للعقد الماضي
وكان صلاح قد أحرز الجائزة في العامين الماضيين، بينما أخفق ماني في الحصول عليها لثلاثة أعوام متتالية كان فيها أحد المرشحين الثلاثة للحصول عليها.

وقد ساهم ساديو ماني في وصول منتخب بلاده إلى المباراة النهائية في بطولة كأس الأمم الأفريقية الأخيرة التي نظمتها مصر وغادرتها في دور الستة عشر.

كما فاز ماني مع ليفربول ببطولة دوري أبطال أوروبا وكأس العالم للأندية.

Wednesday, January 1, 2020

भीमा कोरेगांव हिंसा के 2 साल बाद आज क्या हो रहा

 प्रदर्शन होने के पीछे वजहें क्या हैं और क्या दहशत में हैं यूपी के मुसलमान? मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

कानपुर शहर में बापूपुरवा की संकरी गलियों से होते हुए मैं मोहम्मद शरीफ़ के घर पहुंचा.

वह एक टीन की छत वाले छोटे से घर के बाहर बैठे थे. ये सिर्फ़ एक कमरे का घर था जो दिन में रसोई और रात में सोने के कमरे के तौर पर इस्तेमाल होता है. वो उठे, मुझे गले लगाया और फिर फूट-फूट कर रोने लगे. कुछ मिनट इस गंभीर शांति में ही बीत गए. मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

फिर अपने आंसू पोछते हुए उन्होंने कहा, "मैंने सबकुछ खो दिया. मैं जीना नहीं चाहता. मेरे बेटे की क्या ग़लती थी? पुलिस ने उसे गोली क्यों मारी?"

मोहम्मद शरीफ़ के 30 साल के बेटे मोहम्मद रईस की 23 दिसंबर को मौत हो गई थी. तीन दिन पहले उन्हें पेट में गोली लगी थी.

मोहम्मद शरीफ़ ने कहा, "मेरे बेटा विरोध प्रदर्शन नहीं कर रहा था. वो गलियों में सामान बेचता था और इत्तेफाक से उस जगह पर मौजूद था जहां प्रदर्शन हो रहे थे. लेकिन, अगर वो विरोध प्रदर्शन कर भी रहा होता तो क्या उसे मार देना चाहिए था?"

"क्या वो इसलिए मारा गया क्योंकि हम मुसलमान हैं? क्या हम इस देश के नागरिक नहीं हैं? मैं मरने तक ये सवाल पूछता रहूंगा." मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

जहां पर मोहम्मद रईस को गोली मारी गई वहां पर दर्ज़नों लोग नागरिकता क़ानून का विरोध कर रहे थे. प्रदर्शनकारियों के पत्थर फेंकने के बाद पुलिस से टकराव होने पर कुछ लोग हिंसक हो गए. मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उत्तर प्रदेश में प्रदर्शनकारियों नए नागरिकता संशोधन क़ानून (सीएए) के ख़िलाफ़ हुए विरोध प्रदर्शनों में उत्तर प्रदेश सबसे ज़्यादा प्रभावित इलाक़ा रहा है. 20 दिसंबर से विरोध प्रदर्शन शुरू होने के बाद से राज्य में 19 लोगों की जान चली गई.

बीबीसी संवाददाता विकास पांडे ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न इलाक़ों में जाकर ये जानने की कोशिश की कि आख़िर राज्य में इतने बड़े स्तर पर हिंसक विरोधऔर पुलिस के बीच हुए टकराव में कम से कम 50 पुलिस अधिकारी चोटिल हो गए. हालांकि, पुलिस पर भी प्रदर्शनकारियों के ख़िलाफ़ बल प्रयोग के आरोप लगे हैं.

नागरिक अधिकारों के लिए काम करने वाले समूहों का कहना है कि ये नया क़ानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान से आने वाले गैर-मुस्लिम आप्रवासियों को सुरक्षा प्रदान करता है. हालांकि, सरकार का कहना है कि वो इस क़ानून के ज़रिए अपने देश में उत्पीड़न झेल चुके धार्मिक अल्पसंख्यकों को सुरक्षा
पुलिस ने उनके आदेश पर ऐसे लोगों की पहचान की और पूरे कानपुर में उनके पोस्टर लगा दिए.

इससे समुदाय में डर पैदा हो गया. मैं बापूपुरवा में कई महिलाओं से मिला जिन्होंने कहा कि उनके बेटों (कुछ 10 साल के भी) और पतियों ने गिरफ़्तारी और प्रताड़ना के डर से दूसरे शहरों में जाने का फ़ैसला किया है.

कानपुर में मुस्लिम समुदाय के नेता नसीरुद्दीन ने बताया, "एनआरसी में लोगों को ये साबित करना होगा कि वो भारत के नागरिक हैं. मान लीजिए की एक हिंदू परिवार और एक मुस्लिम परिवार अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाता. ऐसे में हिंदू परिवार सीएए के ज़रिए नागरिकता के लिए दावा कर सकता है लेकिन मुस्लिम परिवार के पास ये विकल्प नहीं है."

वहीं, सरकार कहती है कि एनआरसी को जल्द ही लागू करने की उसकी कोई योजना नहीं है लेकिन मुस्लिम समुदाय में फिर भी डर है कि अगर वो अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए तो क्या होगा.

नसीरुद्दीन कहते हैं कि मुस्लिमों  मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रहमें इसलिए भी डर है क्योंकि उन्हें सत्ताधारी हिंदू राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी पर भरोसा नहीं है.

पहचान छुपाने की शर्त पर एक महिला ने कहा, "हमारी क्या ग़लती है? हम एक लोकतंत्र में हैं और किसी बात से सहमत न होने पर हमें विरोध करने का हर अधिकार है. लेकिन, हमारे रक्षक ही भक्षक बन गए हैं. अब हम कहां जाएं?"

जब मैं अलग-अलग सड़कों से गुज़रा तो स्थितियां एक जैसी थीं, बहुत कम लड़के बाहर थे लेकिन महिलाएं आपस में बातें कर रही थीं. ऐसा लग रहा था जैसे वो किसी के उनसे सवाल पूछने का इंतज़ार कर रही हैं.

नाम न बताने की शर्त पर एक और महिला ने बताया, "रात को पुलिसवाले हमारे घर पर आए थे और उन्होंने कहा था कि वो सभी मर्दों को गिरफ़्तार करेंगे. उन्होंने हमें उन लोगों की पहचान करने के लिए कहा जो विरोध प्रदर्शन कर रहे थे."

मुस्लिम समुदाय में डरने का एक कारण योगी आदित्यनाथ के पुराने मुसलमान विरोधी बयान भी हैं. जैसे डोनल्ड ट्रंप की तरह भारत में मुस्लिमों पर यात्रा प्रतिबंध की वक़ालत करना, मुस्लिम पुरुषों पर हिंदू महिलाओं का जबरन धर्म परिवर्तन कराने के आरोप लगाना या फिर अभिनेता शाहरुख ख़ान की पाकिस्तान आधारित चरमपंथी हाफिज़ सईद से तुलना करना.

कई लोगों का मानना है कि मुख्यमंत्री पीएम नरेंद्र मोदी के ''हिंदू राष्ट्रवाद'' के विचार पर चल रहे हैं.

नसीरुद्दीन कहते हैं, "उत्तर प्रदेश इस विचारधारा की मुख्य प्रयोगशाला बन गया है."

राज्य में हज़ारों लोगों को हिरासत में लिया गया है जिनमें से अधिकतर मुसलमान पुरुष हैं. साथ ही कई दिनों के लिए इंटरनेट सेवाओं पर भी रोक लगा दी गई थी. मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

कई प्रमुख एक्टिविस्ट को भी हिरासत में लिया गया है जिनमें एक बड़े पुलिस अधिकारी भी शामिल हैं.

पुलिस पर भी मुसलमानों को प्रताड़ित करने का आरोप है. कानपुर में वीडियो के ज़रिए ये सामने आया है कि पुलिसकर्मी मुस्लिम बहुल इलाक़ों में देर रात कारों और घरों को कथित रूप से तोड़ रहे हैं. मेरे सहकर्मियों ने राज्य के दूसरे इलाक़ों में भी ऐसे ही दावे किए जाने की ख़बरें दी हैं.

बीबीसी संवाददाता योगिता लिमये को बताया गया था कि पुलिस ने मुजफ़्फ़रनगर में कई जगहों पर मुसलमानों के घरों में कथित रूप से तोड़फोड़ की थी. यह इलाक़ा कानपुर से 580 प्रदान करेगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह बार-बार ज़ोर देकर कह रहे हैं कि ये मुसलमानों के ख़िलाफ़ नहीं है.

लेकिन, चार करोड़ से भी ज़्यादा मुस्लिम आबादी वाले उत्तर प्रदेश में विरोध प्रदर्शन जारी हैं.

राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने वालों से 'बदला' लिया जाएगा. उन्होंने कहा था, "सार्वजनिक संपत्ति के नुक़सान की भरपाई के लिए जिम्मेदार लोगों की संपत्ति जब्त की जाएगी." मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

किमी. दूर है. एक घर में उन्होंने टीवी, फ्रिज और रसोई के बर्तन कथित तौर पर सबकुछ तोड़ दिया.

योगिता लिमये ने रिपोर्ट की थी, "मैं उन युवकों से मिली, जिन्होंने बताया कि उन्हें पुलिस ने हिरासत में लिया था और पिटाई की थी."  प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई करने की जल्दी में है लेकिन अपने अधिकारियों पर नहीं, ऐसा क्यों? मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

इसके जवाब में उन्होंने कहा, "हर कोई आरोप लगाने के लिए स्वतंत्र है."

एडीजी पीवी रामा शास्त्री ने पुलिस के तोड़फोड़ करने की बात से भी इनकार किया. जब मैंने उन्हें तोड़फोड़ की घटनाओं का वीडियो दिखाया तो उन्होंने कहा, "ये वीडियो ऐसे ही कहीं पोस्ट किया गया है, ये अपने में पूरा नहीं है." मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

उन्होंने कहा, "घटना की जगह और संदर्भ के बारे में स्पष्ट रूप से बताना होगा. किसी एक वीडियो के आधार पर फ़ैसला नहीं लिया जा सकता." मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

एडीजी ने राज्य में विरोध प्रदर्शनों के दौरान हुई 19 मौतों में भी पुलिस के शामिल होने से इनकार कर दिया और कहा कि इस मामले में जांच जारी है. मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

लेकिन, सामाजिक कार्यकर्ता सौम्या राणा ने कहा कि पुलिस की जिम्मदारी तय करने की ज़रूरत है.

सौम्या राणा कहती हैं, "हिंसा किसी चीज़ का हल नहीं है लेकिन ये बात दोनों तरफ़ लागू होती है. पुलिस को हिंसा में शामिल लोगों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी चाहिए लेकिन प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलाना क्या एकमात्र रास्ता है?" मुक्त अश्लील सेक्स और अनल सेक्स संग्रह

"कई लोगों की जान चली गई. हम इस मामले में निष्पक्ष जांच की मांग करते हैं."

मैंने ग्राउंड पर काम करने वाले कुछ पुलिसकर्मियों से बात की तो उनमें से कुछ ने बताया कि वो बहुत दबाव में काम कर रहे थे. पहचान छुपाने की शर्त पर एक पुलिसकर्मी ने कहा कि उन्हें 'किसी भी कीमत पर विरोध प्रदर्शनों को नियंत्रित' करने के आदेश मिले थे.

बीबीसी हिंदी संवाददाता ज़ुबैर अहमद ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मेरठ और बिजनौर में पुलिस की क्रूरता के आरोपों पर रिपोर्ट की थी.

इन इलाक़ों में आठ लोगों की गोली लगने से मौत हो गई. उनके परिवारों का कहना है कि पुलिस ने उन्हें गोली मारी. हालांकि, पुलिस इन आरोपों से इनकार करती है.

अगर आप इन सभी कहानियों को सुनते हैं तो एक पैटर्न उभरकर आता है- हिरासत और फिर मुस्लिम बहुल इलाक़ों में रात को कारें और घरों में तोड़फोड़.

लेकिन, क़ानून व्यवस्था के लिए ज़िम्मेदार राज्य के शीर्ष पुलिस अधिकारियों ने इन आरोपों को खारिज किया है.

उत्तर प्रदेश में एडीजी क़ानून व्यवस्था पीवी रामा शास्त्री ने बीबीसी को बताया कि सार्वजनिक संपत्ति को नुक़सान पहुंचाने वालों की 'डिजीटल सबूतों' के आधार पर पहचान करके उन्हें गिरफ़्तार किया जाएगा.

जब मैंने उनसे पूछा की पुलिस वीडियो के आधार पर

湖北省2020年高考时间公布:7月7日-7月8日

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